हास्य, व्यंग्य, कही-अनकही
माना कि आप कद में मुझसे बहुत बड़े हो
पर मेरे सामने तो सिर झुकाये खड़े हो
हमें तो सिर उठाकर जीने की आदत है
रास्ता दीजिये मुझको, क्यूँ रास्ते में अड़े हो
चित्र : गुगल सर्च से साभार
बहुत सार्थक और सुंदर शीर्षक के साथ....यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी....
motivating and intuitive
हमें तो सर उठा कर जीने की आदत है ...सुन्दर ...!!
waah sir ji tathakathit manavta par chot...
बहुत सुन्दर.... सर उठानें की आदत है...शाखों से टूट जायें वो पत्ते नहीं हैं हम. शाखों से टूट जायें वो पत्ते नहीं हैं हम आंधियों से कह दो अपनी औकात में रहें
मुक्तक के माध्यम से बढ़िया सन्देश!
सन्देश देती अच्छी रचना
कद तो हमारा भी छोटा है..शायद यही कारण है हमेशा सर उठा कर ही जिए हैं...सुन्दर..
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8 comments:
बहुत सार्थक और सुंदर शीर्षक के साथ....यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी....
motivating and intuitive
हमें तो सर उठा कर जीने की आदत है ...
सुन्दर ...!!
waah sir ji tathakathit manavta par chot...
बहुत सुन्दर....
सर उठानें की आदत है...
शाखों से टूट जायें वो पत्ते नहीं हैं हम.
शाखों से टूट जायें वो पत्ते नहीं हैं हम
आंधियों से कह दो अपनी औकात में रहें
मुक्तक के माध्यम से बढ़िया सन्देश!
सन्देश देती अच्छी रचना
कद तो हमारा भी छोटा है..शायद यही कारण है हमेशा सर उठा कर ही जिए हैं...
सुन्दर..
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