Monday, June 14, 2010

हमें तो सिर उठाकर जीने की आदत है ~~~

माना कि आप कद में मुझसे बहुत बड़े हो

पर मेरे सामने तो सिर झुकाये खड़े हो

हमें तो सिर उठाकर जीने की आदत है

रास्ता दीजिये मुझको, क्यूँ रास्ते में अड़े हो

image

चित्र : गुगल सर्च से साभार

8 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत सार्थक और सुंदर शीर्षक के साथ....यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी....

माधव( Madhav) said...

motivating and intuitive

वाणी गीत said...

हमें तो सर उठा कर जीने की आदत है ...
सुन्दर ...!!

दिलीप said...

waah sir ji tathakathit manavta par chot...

Dev K Jha said...

बहुत सुन्दर....
सर उठानें की आदत है...
शाखों से टूट जायें वो पत्ते नहीं हैं हम.
शाखों से टूट जायें वो पत्ते नहीं हैं हम
आंधियों से कह दो अपनी औकात में रहें

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मुक्तक के माध्यम से बढ़िया सन्देश!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सन्देश देती अच्छी रचना

स्वप्न मञ्जूषा said...

कद तो हमारा भी छोटा है..शायद यही कारण है हमेशा सर उठा कर ही जिए हैं...
सुन्दर..

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