नेपथ्य में :
माता के जागरण के लिये कुल चन्दे से आयी रकम : 23900 रूपये
माता के जागरण पर कुल खर्च : 8600 रूपये
बचत (लाभ) : 15300 रूपये
आयोजक नशे में धुत्त, संख्या में कुल तीन. तीनों ने अपने हिस्से का 5100 रूपये लिया और अपना-अपना जाम उठा लिया.
नेपत्थ्य से बाहर :
जागरण चरमोत्कर्ष पर. माँ का गुणगान जारी :
माता तेरी लीला अपरम्पार
मेरा भी कर दे बेड़ा पार ...
14 comments:
bahut satik vermaji
aaj kal kai jagah yahi ho raha hai
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
बहुत बढ़िया...माँ बेडा पार ही तो कर रही थीं....
धर्म की आड़ में लूट है
सब चंदे का चमत्कार है... कई साल पहले हमारी समिति ने जो लातूर भूकंप पीड़ितों के लिए चंदा जामा किया था कुछ लोग उसमे से भी आधा मार गए था.. सच्चाई जो ऐसे सामने लाये वही लघुकथा..
ये दुनिया ऐसी ही है वर्मा जी सच्चे और अच्छे काम के लिए एक रुपया नहीं निकलेगी लेकिन इनको ढोंगी,पाखंडी और ठग चाहे इनसे लाखों ठग ले इनको वो मंजूर है ,ऐसे माता के जागरण करने वाले हर जगह मिल जायेंगे अब तो ,कुछ तो मजबूरी में ऐसा करते है और कुछ को ऐय्यासी के लिए पैसे चाहिए इसके लिए करते हैं ,क्या कह सकते है इंसानियत मर चुकी है ...
देते हैं भगवान को धोखा ...
इन्सान को क्या छोरेंगें ..मन्नाडे साहब वर्षों पहले गा चुकें हैं
सच को उकेरती लघुकथा।
एकदम सटीक सुंदर लघुकथा. धन्य हों.
जबरदस्त वार किया है भाई जी ! हर मोहल्ले की हकीकत बयान कर गयी यह लघु पोस्ट ! शुभकामनायें !!
यही तो होता है धर्म की आड़ में.बहुत तीखा प्रहार.
सटीक और ज़बरदस्त
sach hai kadva sach
कॉलेजों में सरस्वती जी की पूजा में भी ऐसा ही होता था !!
thode se shabdo me hi ek kadvi sacchayi jise ham jante hain aur fir bhi chup rah jate hai..use shabd de diye aapne.
Bahut dukhdaai prasang...bahut satik vyangya.
सटीक
तीक्ष्ण
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