हास्य, व्यंग्य, कही-अनकही
कूड़े के ढेर से जीवन चुनता है
दिन भर खुद का बोझ ढोता है
इस शहर को फख़्र है बड़प्पन का
उफ ! यहाँ तो बचपन ऐसे सोता है
चित्र : मोबाईल कैमरे से
दिल को छू लेनेवाली प्रस्तुति..आभार !
बहुत प्रभावशाली रचना
बहुत मार्मिक और संवेदनशील प्रस्तुति.
वाह वर्मा जी ,बहुत बढ़िया प्रस्तुती ,इंसानियत की दर्दनाक अवस्था का चित्रण आपके सोच और कोशिस करने की लालसा को दर्शाता है ,जिससे कुछ सुधार हो सके,कास सभी ऐसा सोचते ?
प्रभावशाली अभिव्यक्तिराम राम
मार्मिक!
उफ़! बहुत ही मार्मिक कविता.....
एक कटु सत्य को दर्शाती मार्मिक प्रस्तुति
चित्रों और शब्दों के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया आपने. आज विकास की राह पर अग्रसर उपभोक्तावाद की काली तस्वीर दिखा दी है आपने.
सच कहा !
मार्मिक, विचारणीय !
मार्मिक और संवेदनशील प्रस्तुति.
maarmik...
ghazab..!!
क्या यह सब उन नेताओ ओर सरकारी अफ़सरो , रिश्वत खोरो को नही दिखता जो इन सब का हक मार कर तंद फ़ुलाये महंगी महंगी कारो मै घुमते है
कडवी सच्चाई...
...अदभुत अभिव्यक्ति!!!
अभावों से घिरा बचपन मन को पीड़ा देता है लेकिन उस सख्त बिस्तर पर नींद कितनी मीठी होगी यह वही बता सकता है...
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20 comments:
दिल को छू लेनेवाली प्रस्तुति..आभार !
बहुत प्रभावशाली रचना
बहुत मार्मिक और संवेदनशील प्रस्तुति.
वाह वर्मा जी ,बहुत बढ़िया प्रस्तुती ,इंसानियत की दर्दनाक अवस्था का चित्रण आपके सोच और कोशिस करने की लालसा को दर्शाता है ,जिससे कुछ सुधार हो सके,कास सभी ऐसा सोचते ?
प्रभावशाली अभिव्यक्ति
राम राम
मार्मिक!
उफ़! बहुत ही मार्मिक कविता.....
एक कटु सत्य को दर्शाती मार्मिक प्रस्तुति
चित्रों और शब्दों के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया आपने. आज विकास की राह पर अग्रसर उपभोक्तावाद की काली तस्वीर दिखा दी है आपने.
सच कहा !
उफ़! बहुत ही मार्मिक कविता.....
मार्मिक, विचारणीय !
मार्मिक और संवेदनशील प्रस्तुति.
maarmik...
maarmik...
ghazab..!!
क्या यह सब उन नेताओ ओर सरकारी अफ़सरो , रिश्वत खोरो को नही दिखता जो इन सब का हक मार कर तंद फ़ुलाये महंगी महंगी कारो मै घुमते है
कडवी सच्चाई...
...अदभुत अभिव्यक्ति!!!
अभावों से घिरा बचपन मन को पीड़ा देता है लेकिन उस सख्त बिस्तर पर नींद कितनी मीठी होगी यह वही बता सकता है...
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