उसने उस दिन मेरे गाल पर झन्नाटा लिखा था
कोई ताड़ न पाये इसलिये मैनें सन्नाटा लिखा था
.
उसकी गली में आया था कुत्ते पीछे पड़ गये थे
पढ़कर देखते मेरे चेहरे पर ज्वार-भाटा लिखा था
.
चमन में आया था मैं चश्मे-नम करने की ख़ातिर
मेरे भाग्य में तो निगोड़ा यह सूखा कांटा लिखा था
.
यह सोच के मैने गिफ्ट दिया था कि मना करेगी
लेकर बिन बोले चल दी, इतना बड़ा घाटा लिखा था
.
बहुत हौसला लेकर आया था मैं उसकी देहरी पर
पर उसने दरवाजे पर ओके, बाय, टाटा लिखा था
21 comments:
जब लिखा है टाटा
तो कैसे न हो घाटा ?
उम्दा और समझदार लोगों के लिए विचारणीय प्रस्तुती /
अच्छी और सराहनीय प्रयास
गिफ्ट लेने के बाद का टाटा तो बड़े घाटे की बात हो गई..मजेदार और बढ़िया ग़ज़ल..बधाई वर्मा जी
यह सोच के मैने गिफ्ट दिया था कि मना करेगी
लेकर बिन बोले चल दी, इतना बड़ा घाटा लिखा था
.
बहुत हौसला लेकर आया था मैं उसकी देहरी पर
पर उसने दरवाजे पर ओके, बाय, टाटा लिखा था
हा-हा-हा , भाई साहब, कंजूसी करने की सोचो तो यही नुकशान होता है !
ये तो सच में घाटा हो गया भाई .... आगे के लिए नसीहत है लेकिन ...
बहुत बढ़िया गजब की रचना . गिफ्ट देने के पहले दोस्ती करना भी तो जरुरी है सर......आभार
यह सोच के मैने गिफ्ट दिया था कि मना करेगी
लेकर बिन बोले चल दी, इतना बड़ा घाटा लिखा था.
प्रेमी तो ऐसे ही होते हैं,
हमेशा से ही घाटा सहते आएं हैं.
खुशियाँ कभी दूर नहीं होती उनसे,
वह खुद ही हमेशा,
उन्हें टाटा कहते आएं हैं.
मजेदार और बढ़िया ग़ज़ल..
उसने उस दिन मेरे गाल पर झन्नाटा लिखा था कोई ताड़ न पाये इसलिये मैनें सन्नाटा लिखा था .......
ARE YAR BAHUT BURA HUWA AAP KE SATH
:) :) अच्छी हास्य कविता...
बहुत ही रोचक और लाजवाब ,,शुरू से अंत तक आनंददायक ,,,
पहले झन्नाटा
फिर घाटा
और फिर टाटा!
बहुत बेइंसाफ़ी है!!
बी एस पाबला
हा हा हा
बहुत अच्छी हास्य गज़ल
bhaut badhiya :}
mazedaar
masaaledar !
ओके, बाय, टाटा !!!!
(मस्त) :)
वो भी क्या करती...
आपकी पतंग पर...वो काटा...जो लिखा था...
जय हिंद...
Dilchasp....
मजेदार है जी... :)
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