Sunday, May 23, 2010

गुलाब और जीवन (क्षणिका)

चित्र पर क्लिक करके पढ़े :

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9 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

सौ आने सच्ची बात...

दिलीप said...

waah badi sahi baat kahi

वाणी गीत said...

गुलाब में कांटे हैं उसकी रक्षा के लिए ...या काँटों की चुभन को कम करने के लिए है गुलाब ...
जो भी हो ..चित्र बहुत खूबसूरत है ...!!

honesty project democracy said...

जिस दिन हम सब यह समझ जायेंगे की दुख ही असल सुख और सच्चा है उस दिन ये संसार इंसानों की बस्ती हो जाएगी /

डॉ टी एस दराल said...

बेहतरीन नजरिया ।

Unknown said...

जीवन के सफर में गुलाब रूपी सुख व कांटों रूपी दु:ख भी है....दोनों को समभाव से सहना ही जीवन है, का सन्देश देती सशक्त रचना।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुन्दर....जीवन में फूल और कांटे दोनों ही मिलते हैं

Razia said...

जीवन के यही तो दो रंग है.
बढिया

ZEAL said...

Joy and woes are woven fine !

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