Monday, September 27, 2010

'हमारी सुरक्षा व्यवस्था तो चाक-चौबन्द है'

सुनिये मेरी आवाज में कविता 'हमारी सुरक्षा व्यवस्था तो चाक-चौबन्द है'

कविता पढने के लिये यहा क़्लिक करें :

'हमारी सुरक्षा व्यवस्था तो चाक-चौबन्द है'

4 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत सटीक !!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

कमाल है... बहुत ही सटीक...

Razia said...

सुन्दर व्यंग्य .. सामयिक और फिर आपके द्वारा सुनना ...

दिगम्बर नासवा said...

आपकी आवाज़ में सुन कर मज़ा आ गया ...

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