हास्य, व्यंग्य, कही-अनकही
हिन्दयुग्म पर मेरी रचना
परहेज़ करना कोई गीत गाने से
क्या वर्मा जी .....यहां तो जिंदा मरी हुई कोई भी चिडिया नज़र नहीं आ रही है ...मगर उसकी आत्मा जरूर भटक रही थी ..माईनस लगा के निकल ली ....हमने एक प्ल्स मारा तो आपका स्कोर अंडा हो गया ..।बाकी बातें बाद में करेंगे ।
कविता भी पढ आया हूं ..हमेशा की तरह एक संवेदनशील कवि के ह्रदय से निकली एक उत्कृष्ट रचना ।
वर्मा जी, कविया बहुत ही ज़बरदस्त है! बहूत ही खूब
हमेशा की तरह लाजवाब....
बहुत बढ़िया सर ....आभार
बहुत मार्मिक चित्रण किया है आपने इस कविता में...
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6 comments:
क्या वर्मा जी .....यहां तो जिंदा मरी हुई कोई भी चिडिया नज़र नहीं आ रही है ...मगर उसकी आत्मा जरूर भटक रही थी ..माईनस लगा के निकल ली ....हमने एक प्ल्स मारा तो आपका स्कोर अंडा हो गया ..।बाकी बातें बाद में करेंगे ।
कविता भी पढ आया हूं ..हमेशा की तरह एक संवेदनशील कवि के ह्रदय से निकली एक उत्कृष्ट रचना ।
वर्मा जी, कविया बहुत ही ज़बरदस्त है! बहूत ही खूब
हमेशा की तरह लाजवाब....
बहुत बढ़िया सर ....आभार
बहुत मार्मिक चित्रण किया है आपने इस कविता में...
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