Thursday, May 6, 2010

पेट में चूहे कूद रहे थे ~~

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पेट में चूहे कूद रहे थे

मैं चूहों के पीछे भाग रही थी

अब तो कुछ सुस्ता लूँ

दो दिन से मैं जाग रही थी

 

 

13 comments:

अनामिका की सदायें ...... said...

भाग भाग कर टांगे थक गयी..
इस लिए इनको उठा रही हु..
घूर के मत देखो मुझको..
मैं न कोई स्टाइल मर रही हु.

honesty project democracy said...

उम्दा विचारणीय प्रस्तुती

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:):) बढ़िया ..

Razia said...

हा हा मजेदार

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बेहद निखटू बिल्ली निकली

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

हा हा हा ....मज़ा आ गया...

Satish Saxena said...

आज तो आप अलग ही अंदाज़ में हैं वर्मा जी

दीपक 'मशाल' said...

azab chitra gazab kavita .. ha ha ha

Jyoti said...

बहुत मजेदार..............

फ़िरदौस ख़ान said...

हा हा हा...

Yashwant Mehta "Yash" said...

कर लो अम्मा आराम कर लो
चूहों को भी आराम रहेगा तुम्हारे आराम काल में

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

जबरदस्त।
--------
पड़ोसी की गई क्या?
गूगल आपका एकाउंट डिसेबल कर दे तो आप क्या करोगे?

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

Very good....

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