Tuesday, December 7, 2010

एक अघोषित ब्लागर मिलन वाराणसी में अरविन्द मिश्रा जी के सौजन्य से ..

दिनांक 4 दिसम्बर को मैं वाराणसी (अपने गृह नगर) में था.  मेरा सौभाग्य है कि अरविन्द मिश्रा जी ने अपने आवास पर वाराणसी के मूर्धन्य ब्लागरों को आमंत्रित किया और एक संक्षिप्त ब्लागर मिलन का आयोजन कर दिया. यह ब्लागर मिलन संक्षिप्त इस मायने में नहीं था कि हम कम समय तक वार्तालाप किये वरन लगभग दो घंटे तक गूफ़्तगूरत रहे. हाँ संक्षिप्त इस मायने में जरूर थी कि हम संख्यात्मक रूप से संक्षिप्त थे ( कुल छ: ). फिर भी हम कम नहीं माने जा सकते हैं क्योकि वाराणसी के सिर्फ चार ही यदि तन्मयता से जुट जाये तो मुकम्मल होते हैं. अस्तु .. यह मिलन एक यादगार मिलन बन गया. कुछ संकल्पों कुछ विकल्पों पर वार्ता हुई. विशेष रूप से अरविन्द मिश्रा जी से बातचीत और उनकी जिन्दादिली प्रभावित कर गई. देवन्द्र पाण्डे जी से सार्थक और आत्मीय पहचान (ब्लाग कथ्यों से ईतर), उत्तमा जी की उन्मुक्त हँसी, अभिषेक आर्जव जी की मुस्कान और डाँ उमाशंकर चतुर्वेदी जी  का गाम्भीर्य कौन भूल सकता है भला.  भाभी जी (श्रीमती अरविन्द मिश्रा) का आतिथ्य भाव की चुगली तो चित्र कर ही देंगे. खिलाने में आप और मिश्रा जी पीछे नहीं रहे और खाने में हम सभी संकोच त्याग कर चुके थे और पीछे नहीं. बाकी मैं कुछ कहूँ उससे बेहतर है कि आप चित्रो की जुबानी ही सुनें :

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श्रीमती अरविन्द मिश्रा (क्षमा करें नाम पूछने का दु;साहस नहीं कर पाया था)

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कहाँ ध्यान है देवेन्द्र जी

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फोटो तो लो अभिषेक

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कैसा लगा?

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बस अब नहीं

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गूफ्तगूरत

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चलो अब चलते हैं

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क्लिक तो करो

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क्रमश: -> मैं (एम वर्मा), श्रीमती अरविन्द मिश्रा, उत्तमा जी, अभिषेक आर्जव जी, देवेन्द्र पाण्डे जी, अरविन्द मिश्रा जी, डाँ उमाशंकर चतुर्वेदी जी 

12 comments:

संजय भास्‍कर said...

ब्लॉगर साथियों से तस्वीरों में मिलकर बहुत अच्छा लगा।...बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बधाई।

संजय भास्‍कर said...

बहुमूल्य पलों से रूबरू कराने के लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद.

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छा लगा देख कर एसा लगा जेसे सब अपने ही हो !

Satish Saxena said...

बेहतरीन अपनापन के साथ आपका विवरण अच्छा लगा ! शुभकामनायें आपको और आपके कैमरे को !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

...दिल की बातें बड़ी निराली। ह्रदय से निकले, प्रेम में सने इस संक्षिप्त विवरण को पढ़कर मन खुश हो गया। चित्र बहुत अच्छे आए हैं...उड़ाने पड़ेंगे।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

स्लाइड शो ही उड़ाना पडेगा...बहुत बढ़िया है।
..प्रत्येक फोटो के नीचे आपकी एक पंक्ति कमाल कर रही है।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

वाह वर्मा जी आप तो बनारस में मिले और हम रोहतक में मिलने आस लगाए बैठे थे।

कोई बात नहीं फ़िर कभी दर्शन करेंगे आपके।

हैप्पी ब्लागिंग

उम्मतें said...

अरविन्द जी की सौजन्यता का लाभ देखिये कब मिले ? हम लोग भी आस लगाये बैठे हैं :)



अच्छे फोटोग्राफ्स और अच्छी रपट !

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत अच्छा लगा।

P.N. Subramanian said...

मजा आ गया. अरविन्द जी बड़े खाऊ प्राणी लगते हैं.

Arvind Mishra said...

वाह खूब स्लाईड व्लायिड भी लगा दी है आपने ..आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा !

अभिषेक आर्जव said...

अचानक आपको वहां पाकर मुझे अपार हर्ष हुआ ! मैंने तो बिलकुल भी नहीं सोचा था कि आपसे भी मिल सकूंगा वहां जाकर ! सब कुछ बहुत अच्छा लगा !
फोटोग्राप्स खूब ली हैं आपने !

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