मंगतू बीमार हो गया. आनन-फानन में उसे अस्पताल पहुँचाया गया. अस्पताल में अब उसके स्वास्थ्य में उत्तरोत्तर सुधार हो रहा है. जब डाँक्टर से उसके बीमारी के बारे में पूछा गया तो डाँक्टर ने बताया कि :
'मंगतू के शरीर के आंतरिक अवयव मिलावटी भोज्य पदार्थ को ग्रहण करने और पचाने के आदी हो चुके हैं. शायद उसने किसी दिन विशुद्ध भोजन कर लिया होगा और बीमार हो गया.'
यह पूछने पर कि अस्पताल में आकर इतनी जल्दी कैसे ठीक हो गया तो डाँक़्टर ने जो बताया वह कम चौकाने वाला नहीं है :
'हमने यहाँ पर उसे एक नकली और मिलावटी इंजेकशन लगा दिया और उसके भोजन को मिलावटी बना दिया गया है साथ ही प्रदूषित आक्सीजन का मास्क भी लगाया गया है.'
मुझे लगा ईलाज ठीक चल रहा है.
7 comments:
हा हा हा :).... अब आने वाले दिनों में यही होगा !
देश ठीक चल रहा है - बढ़िया
यह सही रही ....
कल्पनाओं को सकारात्मक रखे तो बेहतर जनाब, सुना है ये मुई कल्पना ही धीरे धीरे हकीकत बनती है ....
व्यंग्य तो बढ़िया है .. लिखते रहिये ...
बिलकुल सही ..आज यदि शुद्ध भोजन मिल जाये तो पचाना भी मुश्किल है ...
गम्भीर व्यन्ग्य .. प्रभावशाली
बढ़िया व्यंग्य
जैसी बीमारी वैसी इलाज.. अब ठीक हो जाएगा..बढ़िया लघुकथा..बधाई
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