खुजाना एक कला है. खुजाया तब जाता है जब खुजली होती है. कभी-कभी खुजली उठाने के लिये भी खुजाया जाता है. खुद को खुजाने और किसी और को खुजाने में फर्क है. खुजली उठने का क्योकि कोई वक्त नहीं होता है, इसलिये खुजाने का भी कोई वक्त नहीं होता. खुजाना लाभदायक भी है और हानिकारक भी. खुजाकर जब खुजली शांत हो जाये तो ठीक वर्ना खुजाते खुजाते आप खुजली वाले स्थान को सुजा भी सकते हैं. कहाँ खुजली हो तो कैसे खुजली की जाये इसका वर्णन करूंगा, पर उसके पहले खुजली के दो प्रकार (और भी हो सकते हैं पर वे वर्ण्य विषय नहीं हैं) का उल्लेख कर दूँ :
1. शारीरिक खुजली
2. मानसिक खुजली
शारीरिक खुजली के तरीके निम्न चित्रों से अनुमान लगाईये :
आदि-आदि
परंतु मानसिक खुजली इतना आसान नहीं है. इसके लिये मस्तिष्क का इस्तेमाल करना होता है. (कभी कभी अपवाद भी). इस पर लिखना भी मस्तिष्क वाले का काम है. किसी के पास हो तो जरूर लिखना. साबित भी हो जायेगा और मेरे दिमाग की खुजली भी शांत हो जायेगी. वैसे ब्लागजगत को इसके बारे में बताना बेमानी ही है.
धन्यवाद
चेतावनी : खुजा-खुजा के सुजा मत लेना
10 comments:
वर्मा जी,
पहले खुजाने का अधिकार राजा महाराजाओं को ही होता था क्योंकि वे प्रत्येक सुख के अधिकारी थे।
जब से लोकतंत्र आया तभी से यह बिमारी भी आम आदमी तक पहुंच गयी। सुख लेने का हक तो उसे भी है। लोकतंत्र में वह वंचित क्यों रहे?
अब खुजा-खुजा के लाल हो गए हैं,क्योंकि खुजली ही ऐसी है कि लाइलाज दाद का रुप धारण कर चुकी है।
हा हा हा हमने भी आपकी पोस्ट के बहाने दिमाग खुजा लिया:)
अच्छी पोस्ट आभार
वर्मा जी,अब खुजाने के बिना काम ही नही चलता....किसी को खुजलाएगें.तभी तो वह हमे भी....:))
वर्मा जी,
बड़ा महत्वपूर्ण विषय उठाया है। कहते हैं कि जो मजा राज में है, उससे कम खाज में भी नहीं है।
टिप्पणियों से और भी नजरिये देखने को मिलेंगे, इंतजार करते हैं। :)
मानसिक खुजली...बात बड़े पते की कही है...हम तो बस सिर खुजा कर सोच ही रहे हैं .....
बाजार में बी-टैक्स लोशन, जालिम लोशन वगैरह.. वगैरह मिलते हैं। जब जिसकी जरूरत पड़े उपयोग कर सकते हैं।... थोड़ा रूकिए.. मैं जानता हूं कि आगे आप क्या कहने वाले है, यही न कि इसकी जरूरत मुझे नहीं आपको ज्यादा है लेकिन ऐसा नहीं है वर्मा साहब कुछ लोग इतने खतरनाक होते हैं कि अपने हाथ से ही नहीं खुजाते। सब कुछ आगे बढ़ा देते हैं लो भाइयों खुजा लो। बाकी आपकी रचना अच्छी है। उन्होंने पढ़ी कि नहीं जिनके पैंट पर...
ओह ! मैं फिर से आता हूँ.... बहुत तेज़ खुजली हो रही रही है ....खुजा कर आता हूँ....
दाद
खाज
खुजली
लिखते हैं जी।
nice
bahut bahut sahi prashna kiya aap ne
sharirik khujli ka ilaj he magar mansik ka nahi
यह ब्लोगिंग भी एक प्रकार कि खुजली ही है डॉ. साब !!!nice post
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