पाबला जी ब्लागजगत की बिना किसी निजी स्वार्थ या अपेक्षा के सेवा में रत है. हम सब उनके आभारी हैं जिससे रचनाओं के प्रकाशन के उपरांत हमें सूचना देते हैं. शायद ही कोई हो जो उनके इस योगदान की महत्ता को नकार सके. किसी की रचना को अस्वीकार करना, उसे नापसन्द करना समझ में आता है पर पाबला जी की प्रकाशन की सूचना देने वाले पोस्ट को नापसन्द करना मुझे समझ में नहीं आया. कृपया बिना सोचे, बिना किसी धारणा के यूँ ही नापसन्द का चटका न लगायें. पसन्द का चटका लगे न लगे पर नापसन्द का एक भी चटका किसी जागरूक ब्लागर को व्यथित करता है. आशा है सकारात्मकता को आयाम मिलेगा.
13 comments:
यह चीज मैंने भी ऑब्जर्व की है.....इस तरह के बिना पढे, बिना समझे केवल नापसंदगी करने के लिये चटका लगाने वाला नकारात्मक कृत्य एक तरह के पूर्वाग्रह या कोई निजी खुन्नस सा लग रहा है।
अब इस पर क्या कहा जाय....उम्मीद है लोग बेमतलब के पूर्वाग्रह को छोड़ थोड़ा संजीदगी दिखाएंगे और निर्मल ब्लॉगिंग करेंगे।
गलती से भी हो सकता है...दबाने वाला देखता नहीं उसने उपर की तरफ दबाया जान नीचे की तरफ। ब्लॉगवाणी पसंद पर एक पोस्ट लिखनी पड़ेगी लगता है।
जहां तक मेरी जानकारी है कि पाबला जी के इस ब्लॉग पर नापसंद चटका प्राय: रोज लगाया जाता है जो सिद्ध करता है कि कोई पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर जानबूझकर यह सब कर रहा है.
बहुत अच्छी प्रस्तुति
bahut khub
http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat
Kunthit maansikta wale logon ki kamee nahin hai sir.. ab kya kahen.
पसन्द नापसन्द का चटका सोचकर लगाना चाहिये.
आपकी अपील भरे हुए मन से खारिज की जाती है ..जो भी ऐसा कर रहे हैं वे पाबला जी के जबरदस्त फ़ैन हैं , पाबला जी के पोस्ट आने की सबसे ज्यादा टैंशन उन्हें ही रहती है , सुना है जिस दिन पाबला जी की पोस्ट न आए ..वे खुजली से बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं ...अंगूठा जिंदाबाद ..उलटा हो या सीधा ....बांकी की चार उंगलियां तो खुद की तरफ़ ही होती हैं ..ऐसा अभी अभी शरद भाई ने बताया मुझे ..है न कमाल की बात ...
अजय कुमार झा
चटके से पाबला जी चटकने वाले नहीं
अच्छे कर्म हैं लगे वे भटकने वाले नहीं
इन अटको चटको से बनता बिगड़ता क्या है भला.
हाँ! गलती से तो हो सकता है ऐसा..... लेकिन ज़्यादातर यह खुन्नस की वजह से होता है.... कुछ लोगों को कुछ के नाम से ही उनके हाथों में बवासीर हो जाता है... तो इसका इलाज वो नेगटिव चटका लगा कर ठीक करते हैं....यह भी है जो नेगटिव चटकों का मतलब...कि जितना ज्यादा नेगटिव चटका वो आदमी उतना पोपुलर....
हाँ! गलती से तो हो सकता है ऐसा..... लेकिन ज़्यादातर यह खुन्नस की वजह से होता है.... कुछ लोगों को कुछ के नाम से ही उनके हाथों में बवासीर हो जाता है... तो इसका इलाज वो नेगटिव चटका लगा कर ठीक करते हैं....यह भी है जो नेगटिव चटकों का मतलब...कि जितना ज्यादा नेगटिव चटका वो आदमी उतना पोपुलर....
भाई, जहाँ भी नापसंद नजर आती है हम पसंद जरूर कर देते हैं। पर समस्या ये है कि एक से अधिक नहीं कर सकते।
हैं कुछ लोग जिन्हे किसी की अच्छाई अच्छी नहीं लगती ।
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