Thursday, July 9, 2009

कमबख्त रास्ते में एक ठेका है --


दर्जनों ‘सदाओं’ ने मुझको आकर छेका है
इल्जाम क्यों देती हो आंख भर 'सेंका' है
.
आ गया होता कब का मैं तुम्हारे दर पर
क्या करू कमबख्त रास्ते में एक 'ठेका' है
.
मेरे बहकने पर क्यो दोष देती हो, बोलो
हमारे ज़ज्बात मे तो गज़ब का 'एका' है
.
नर्सों की तीमारदारी है, अस्पताल में हूँ
प्रेम से तुमने, गमले समेत फूल फेका है
.
भंवरा कब भला ठहरता है इक दर पर?
मेरे लिये तो हरेक नया ठांव ‘यूरेका’ है।

16 comments:

USHA GAUR said...

ha -- haa -- haaa
bahut sunder

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

"भंवरा कब भला ठहरता है इक दर पर?
मेरे लिये तो हरेक नया ठांव ‘यूरेका’ है।"

बहुत खूब!!
अच्छा बाँधा है।

Udan Tashtari said...

हा हा, मस्त!!

आ गया होता कब का मैं तुम्हारे दर पर
क्या करू कमबख्त रास्ते में एक 'ठेका' है

:)

निर्मला कपिला said...

ha ha ha vaah vaah kamaal kee gazal hai badhaai

Razia said...

"भंवरा कब भला ठहरता है इक दर पर?
मेरे लिये तो हरेक नया ठांव ‘यूरेका’ है।"
बढिया गजल
हा हा हा

ज्योति सिंह said...

is khoobsurat raaste se main to anjaan thi .kya likha hai ?padhkar khushi hui

Shruti said...

bahut khoob..

Raste mein theka hai

hahahaha

Razi Shahab said...

भंवरा कब भला ठहरता है इक दर पर?
मेरे लिये तो हरेक नया ठांव ‘यूरेका’ है।"

बहुत खूब!!

मोहन वशिष्‍ठ said...

vakai bahut hi sunder is sher ki shobha yahin par aapke blog par hi sabhi sheron ke saath hai akele mere blog par nahi

Prem Farukhabadi said...

भंवरा कब भला ठहरता है इक दर पर?
मेरे लिये तो हरेक नया ठांव ‘यूरेका’ है।

bahut mast bhav.man ko chhoo raha hai.

ओम आर्य said...

bahut hi sundar bhaw ke sath sundar rachana ......

hem pandey said...

भंवरा कब भला ठहरता है इक दर पर?
मेरे लिये तो हरेक नया ठांव ‘यूरेका’ है।

- वाह वाह.

पूनम श्रीवास्तव said...

नर्सों की तीमारदारी है, अस्पताल में हूँ
प्रेम से तुमने, गमले समेत फूल फेका है
.
भंवरा कब भला ठहरता है इक दर पर?
मेरे लिये तो हरेक नया ठांव ‘यूरेका’ है।
bahut badhiya hasya ....maja aya padhkar.

Urmi said...

वाह क्या बात है! आपका नया ब्लॉग बहुत सुंदर है! बहुत खूब और सुंदर भाव के साथ लिखी हुई आपकी ये रचना मज़ेदार लगा!

प्रकाश गोविंद said...

आ गया होता कब का मैं तुम्हारे दर पर
क्या करू कमबख्त रास्ते में एक 'ठेका' है


वाह भाई ....... बहुत खूब
आनंद आ गया

मेरी शुभकामनाएँ !!!

आज की आवाज

स्वप्न मञ्जूषा said...

इ तो गज़ब का 'यूरेका' है
ऐसा 'यूरेका' पहले नहीं देखा है
इ तो अच्छा है आप साबूत बच गए हैं
अरे अच्छे-अच्छों को आर्कमिदिस से
मजनूँ बनते हुए देखा है......
हा हा हा हा
बहुत ही बढ़िया है..
मज़ा आ गया.. ज़बरदस्त ....

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