Monday, April 30, 2012

तुम्हारी आशिकी शक के दायरे में है …


पीये और पिलाए नहीं तो क्या किया?
पीकर भी जो लड़खडाए नहीं, तो क्या किया?
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तुम्हारी आशिकी शक के दायरे में है
नाज़नीन से पिटकर आये नहीं, तो क्या किया?
.
शादीशुदा के लिए तो तोहफा है बेलन
बीबी से आजतक खाए नहीं, तो क्या किया?
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सियासत का दंभ भरते हो, कच्चे हो पर
घोटालों के लिस्ट में आये नहीं, तो क्या किया?
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माना उठ गयी थी महफ़िल जहां गए थे
और किसी बारात में खाए नहीं, तो क्या किया?
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कोई और क्यों न उठा लेगा अमानत
बुलाने पर भी तुम आये नहीं, तो क्या किया?
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माशूका मिली किसी और के पहलू में
फिर भी तुम तिलमिलाए नहीं, तो क्या किया?
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माना कि तुमने स्वर साधना नहीं किया
बाथरूम में भी जो गाये नहीं, तो क्या किया?
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नफ़रत है तुम्हें नहाने से जगजाहिर है
शादी के दिन भी नहाये नहीं, तो क्या किया?

8 comments:

ZEAL said...

waah ! Great creation ! Loving it.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:):) बहुत खूब

सुनीता जोशी said...

वाह वर्मा जी ,गज़ब की तुकबंदी है ।

सुनीता जोशी said...

माना कि तुमने स्वर साधना नही की,बाथरूम मे भी जो गाये नहीं तो ,क्या किया ?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया!
--
आज चार दिनों बाद नेट पर आना हुआ है। अतः केवल उऊपस्थिति ही दर्ज करा रहा हूँ!

नीलांश said...

nice

KAVITA said...

सियासत का दंभ भरते हो, कच्चे हो पर
घोटालों के लिस्ट में आये नहीं, तो क्या किया?

...siyasat ka asli rang tabhi to dikhta hai..
bahut badiya sateek samyik rachna..

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

kamaal ke ghazal

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