आजकल वे मुझसे नाराज़ हैं. यूँ तो मैं कभी नाराज़ नहीं होता और न किसी की नाराजगी का अंदाज़ा होता है. पर पत्नी के मामले में बात अलग है. वे जब भी मुझे उलाहनों से वंचित रखती हैं मैं समझ लेता हूँ कि नाराज़ हैं. नाराजगी का कोई कारण हो जरूरी नहीं है. गर्मी ज्यादा हो तो वे मुझपर नाराज़ हो सकती हैं. बेटा न पढ़े तो, और पढने बैठा रहे तो वे नाराज़ हो सकती हैं. विद्यालय से मैं जल्दी आ जाऊ तो; देर से आऊँ तो; भूख न लगने पर न खा पाऊँ तो; भूख लगने पर ज्यादा खा लूं तो वे नाराज़ हो सकती हैं.
एक बार मैंने उनके माथे पर लगे सूक्ष्म बिंदी पर ध्यान नहीं दिया तो माथे पर बल पड़ गया था. वैसे बिंदी पर ध्यान न देने को मैं अपनी गलती मानता हूँ. बहुत समझाया कि बिंदी छोटी होने के कारण निगाह में नहीं आ पाई वरना मैं तो बिंदियों पर बहुत ध्यान देता हूँ. बस फिर नया मसला खड़ा हो गया. ‘किस-किस की बिंदियों पर ध्यान देते हो.’ तौबा- तौबा बिना बिंदी के काम नहीं चल सकता क्या?
एक बार उनके ही आदेश पर टेबुल पर चढ़कर जाले साफ़ कर रहा था और अचानक पता नहीं कैसे टेबुल से फिसल कर गिर गया. टांग टूट गयी, प्लास्टर लगने के बाद पहली उलाहना यही थी कि जरूर तुम टेबल पर चढ़कर पड़ोसी के घर में झांक रहे होगे, तभी ध्यान बंटा होगा और गिर गए होगे.
सार्वभौमिक है यह समस्या. मैं स्वीकार कर रहा हूँ तो आप मुझ पर हँस रहे होंगे या सहानुभूति की टिप्पणियाँ तैयार कर रहे होंगे. पर गिरेबान में झाँक कर जरूर देख लें. कहीं यह स्थिति आपकी भी तो नहीं है. वैसे पत्नी की नाराजगी से मुझे कोई नाराजगी नहीं है. क्योंकि इस नाराजगी के बाद जो मनाने और फिर अंततोगत्वा उनके मान जाने पर जो सुख मिलता है वह अवर्णनीय है.
फिलहाल तो मैं अब उन्हें मनाने के उपाय सोचने में अपने चिंतन की समस्त क्षमता का उपयोग करूँगा और मना ही लूंगा, इसलिए अब विराम लेता हूँ.
धन्यवाद !





9 comments:
अब क्या कहें ,पत्नी का पल्ला पकड़े बिना व्यंग्य भी जमता नहीं !
पत्नियाँ नाराज़ हो कर पति को थोड़ा भाव देती हैं ... वरना तो उनकी क्या नाराजगी ...मान भी गयी होंगी अब तक तो
यह अच्छा साहेब, बीवी को बदनाम करने का तरीका।
हा हा हा ! रोज सुबह शाम पत्नी की तारीफ में कुछ लिखा कीजिये , नाराज़ होना बंद हो जाएँगी ।
पति पत्नी का ये लुखा छिपी खेल तो चलता रहता है .. इसी में तो खुशुयाँ छुपी होती हैं ...
मनाते रहो.....
नाराज को मनाने का आनंद मुछ और ही है।
roothe rab ko manana aasaan hai ruthe yaar ko manana mushkil
हाहाहा, यार, यह पढ़कर तो मैं खुद हँसते-हँसते लोटपोट हो गया! सच में, पत्नी की नाराज़गी के ये छोटे-छोटे पल ही ज़िंदगी का मज़ा बढ़ाते हैं। मुझे लगता है, आप पूरी ईमानदारी और धैर्य से हर परिस्थिति को संभाल रहे हैं। बिंदी की बात हो या टेबल से गिरने की, आप दोनों की ये नोक-झोंक और मनाने का खेल ही रिश्ते को मज़बूत बनाता है।
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