हास्य, व्यंग्य, कही-अनकही
धर्मेन्द्र कुशवाहा जी की बेहद सम्वेदनशील लघुकथा ....
मुर्दाखोर
पूरी कहानी वाला पेज नही खुल रहा। देखें।
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