Wednesday, September 23, 2009
एक्सचेंज आफर
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क्या खोना क्या पाना है
आजकल एक्सचेंज आफर का जमाना है
पहुँचने से पहले ही लोग
वापस चल देते है.
पुरानी तो पुरानी नई चीज़ों को भी
आफर के चक्कर में बदल देते हैं।
मेरी पत्नी को एक्सचेंज आफर
बहुत रास आता था.
स्कूल से वापस जाकर
अक्सर अपनी प्रिय वस्तुओं को भी
घर में नहीं पाता था.
पूछने पर यही जवाब मिलता था -
क्या खोना क्या पाना है
आजकल एक्सचेंज आफर का जमाना है.
होता यह था कि
आफर के चक्कर में
वे उन्हें बदल आती थीं
बड़े शौक से बदले में मिली वस्तु
मुझे दिखाती थीं।
एक दिन बड़े प्यार से बोलीं
सुनिये जी !
मैने भी उसी लहजे में कहा
कहिये जी !
वे बोली देखिए अपना फ्रिज
कितना पुराना हो गया है -
फ्रिज नहीं ये तो कबाड़खाना हो गया है
अगर आप कहें तो
एक्सचेंज करके नया लाती हूँ.
सहमति हो आपकी तो
घर की हर चीज को
नया करके दिखाती हूँ.
मैने कहा -
भला इसमें किसे होगा ऐतराज
हर चीज को बदल कर कुछ नया लाओ
आजकल एक्सचेंज का जमाना है
मुझे भी कुछ एक्सचेंज करवाना है
छूटते ही वे बोली
ये तो मेरे लिये चुटकियों का काम है
बस तुम उस चीज़ का नाम बताओ.
मैने कहा -
तुम तो मेरे दिल की रानी हो गई हो
पर कहने में कोई शरम नहीं कि
अब तुम थोड़ी पुरानी हो गयी हो.
हो सके तो अपने को एक्सचेंज कर आना
अपने बदले किसी नई को लाना
ये तो बहुत आसान काम है
क्योंकि आजकल है
एक्सचेंज आफर का जमाना.
तभी से उनकी यह आदत छूट गयी है
अब वे पुरानी चीज़ों से ही काम चला लेती है,
पुरानी चीज़ों में ही नयापन ढूढ़ लेती हैं
उन्हें ही चमकाकर पड़ोसिनों को जला लेती हैं
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हिन्दी दिवस : काव्य पाठ
राजस्थान पत्रिका में 'यूरेका'
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11 comments:
एक्सचेंज आफर का जमाना है
क्या खोना क्या पाना है....
एक पुरानी बात को बड़े नये तरीके से कहा आपने..बहुत रोचक
अच्छा हुआ भाभी जी ने यह नही कहा कि यह पति अब पुराना हो गया है ।
मजेदार
सुन्दर प्रस्तुति
साहब ये ऑफर तो पुराना हो गया , पर आपने उसे दोबारा नया कर दिया
इस बार कंपनी वालों ने , बिना एक्सचेंज ही डिस्काउंट कर दिया
अपनी अपनी डगर
sarparast.blogspot.com
सुंदर हास्य रचना ।
हमारी पत्नी को भी पसंद आई ।
koi baat nahin,der ayad durust ayad.
shukria.
exchange offer is very intresting.
वाह वाह बहुत ही सुंदर और मज़ेदार रचना लिखा है आपने ! बिल्कुल सही फ़रमाया है!
क्या खोना क्या पाना है
आजकल एक्सचेंज आफर का जमाना है
पहुँचने से पहले ही लोग
वापस चल देते है.
पुरानी तो पुरानी नई चीज़ों को भी
आफर के चक्कर में बदल देते हैं।
sach bhi laazwab bhi .sundar .
Sir - you havent written in two months... I am waiting...
एक पुरानी बात को बड़े नये तरीके से कहा आपने..बहुत रोचक
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