Saturday, August 1, 2009

एक रिसर्च : कुत्तों पर


मैने अपने जीवन का
बहुत समय खर्च किया है
कुत्तों पर बहुत गहराई से
रिसर्च किया है.

मैं भी परम्परा निभाया है
सबसे पहले
इनके नस्ल के बारे में बताऊंगा
जो लोग सतही तौर पर देखते हैं
वे इनकी सैकड़ों नस्लें बताते हैं
मैं अपने रिसर्च के दौरान
छान आया हूँ पूरा जग
अब तो पहचानने लगा हूँ मै
इन कुत्तों की रग-रग
बेशरम हड्डी खाकर
कभी मुँह नहीं धोता है.
मेरा खोज बतलाता है
कुत्तों का केवल
दो नस्ल होता है.
एक जन्मजात कुत्तों की
तो दूसरी नस्ल है
कुत्तों के गुणों (!!) को
आत्मसात किये कुत्तों की.
पहला तो फिर भी
कम खतरनाक होता है
दूसरे का काटा तो
जीवन भर रोता है.

मेरे अध्ययन का तो
सीधा सा तर्क है
कुत्ते और गधे में
बहुत फर्क है
कोई कुत्ता
गधा नहीं बनना चाहता है
पर कुछ गधे
कुत्ते ज़रूर बन जाते हैं

एक बार इनकी सभा में
बाइज्जत मैं भी शरीक हुआ
मैने देखा कि
अपनी सभा में भी ये खुद को
बहुत कम सामने लाते हैं
मंच पर तो ये
गधों को ही बिठाते हैं
सामने की सीट पर
ये खुद बैठ जाते हैं
पिछली सीट पर
कुछ दुम दबाऊ तो कुछ
टांग उठाऊ कुत्ते बैठ जाते हैं
अगली पंक्ति में मंच के सामने
बड़े कुत्ते विराजमान होते हैं
कभी ये मेहमान तो
कभी ये मेज़बान होते हैं

सबसे खतरनाक कुत्ता
सबको चुप कराकर
माईक हाथ में ले लेता है
और बेशरम
इंसानों पर किये रिसर्च का
ब्यौरा देता है
इनकी भौंक सुनकर
सिर में दर्द होने लगा
अब बाम लूंगा
इन्हीं शब्दों के साथ
अब मैं विराम लूंगा

धन्यवाद

24 comments:

Vinay said...

बहुत अच्छी कविता है
---------
· चाँद, बादल और शाम

विनोद कुमार पांडेय said...

कुत्तों की जानकारी कमाल की दी आपने..
बढ़िया अध्ययन आपका..
रोचक रचना..बधाई हो

Razia said...

कुत्तो पर इतनी बढिया जानकारी
इनकी सभा मे क्यु गये थे -- मंच पर बैठे थे या अगली सीट पर
मजेदार
अच्छी रचना

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...
This comment has been removed by the author.
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

तुलनात्मक अध्ययन बड़ा सजीव है।
व्यंग्य सटीक है।
बधाई!

निर्मला कपिला said...

वाह क्या बात है कुते पर इतनी बडी कविता बधाई बहुत बडिया है

ravishndtv said...

मज़ा आ गया। कुत्तों के बारे में कुत्तों की जानकारी बढ़ाने के लिए शुक्रिया।

Udan Tashtari said...

बहुत गहन शोध किया है. बधाई डॉक्टर साहब. बस, थिसिस सबमिट करिये और पी.ऎच डी तो मिली ही समझिये. :)


मस्त!!!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

वाह्! बहुत बढिया कविता!!!!

M VERMA said...

सभी को धन्यवाद !
समीर जी !
थिसिस तो सबमिट कर दिया है आप सबके समक्ष. पी एच डी की उपाधि देने मे देर क्यो लगा रहे है आपसब
धन्यवाद

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

वर्मा जी बहुत खूब लिख आप ने जीवन की सच्चाई को अवगत कराती आप की बेहतरीन रचना
कुत्तों का केवल
दो नस्ल होता है.
एक जन्मजात कुत्तों की
तो दूसरी नस्ल है
कुत्तों के गुणों (!!) को
आत्मसात किये कुत्तों की
मेरा प्रणाम स्वीकार करे
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

बड़ा खतरनाक रिसर्च है। किसी कुत्ते ने आपको काटा नहीं?

M VERMA said...

सिद्धार्थ जी
कुत्ते ने काटा तभी तो कुत्ते पर रिसर्च किया.

vandana gupta said...

vyangya kutton par tha ya kutton ke roopdhari manushyon par............magar jo kaha wo sab sach kaha.

Anonymous said...

रोचक रचना

Shilpa Garg said...

WoW! A wonderful, interesting, funny and thought provoking creation! :)

राजीव तनेजा said...

ताबिले कारीफ...
ऊप्स!...सॉरी...

काबिले तारीफ रचना

दिगम्बर नासवा said...

खूबसूरत vyang है आपका........... इस blog को आज pahli बार देखा.......... maza आ गया........

स्वप्न मञ्जूषा said...

कुत्ते के काटने का बुरा असर होता है वर्मा जी...
लोग अजीब अजीब सी हरकतें करने लगते हैं...
जैसे इस वक्त आप कर रहे है..
१४ इंजेक्शन लेने पड़ेंगे...
हा हा हा हा हा हा
ज़बरदस्त व्यंग है वर्मा जी बस मज़ा आ गया पढ़ कर
बहुत ही उम्दा...

Prem Farukhabadi said...

bahut achchha laga aapka vyang. badhai!

Urmi said...

वाह कमाल का कविता लिखा है आपने कुत्तों पर! अच्छी लगी! वैसे मुझे कुत्तों से बहुत लगाव है! बहुत अच्छे दोस्त होते हैं और उनके साथ खेलने में और घुमने में बड़ा मज़ा आता है!

SHUAIB said...

हा हा - बहुत बढिया है।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

पहला तो फिर भी
कम खतरनाक होता है
दूसरे का काटा तो
जीवन भर रोता है.


bahut sahi kaha hai aapne....hehehehe.........

par kuch bhi kahiye......mazaa aa gaya........padh ke

Rinku Singh Semraon said...

Super

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