आप सब को पता नहीं होगा
कुछ दिनों पहले
मेरी एक टांग टूट गई थी
हुआ यह कि
श्रीमती जी के आदेश के अनुपालना में
टेबुल पर चढ़कर
सजा रहा था अपना घर
गिरने से टांग टूट गयी
और चढ़ गया प्लास्टर
.
दुनिया के अजीब कायदे हैं
टांग टूटने के भी अनेक फायदे हैं
प्लास्टर चढ़ने से मेरी बांछे खिल गई
क्योंकि पहली बार मुझे
किचन से छुट्टी मिल गयी
.
टांग टूटने के बाद
पहली बार क्या-क्या हुआ
सुनेंगे आप तो
आप भी हाथ मलेंगे
यकीनन मेरी किस्मत से
आप भी जलेंगे
पहली बार मैनें --
सिर दबाने के बजाय
सिर दबवाने का सुख पाया
पहली बार मैनें --
पत्नी के हाथों नहलाये जाने का सुख पाया
पहली बार मैनें --
जानू, प्रियतम, प्राणप्यारे शब्द सुना
पहली बार --
मुझसे मिलने अनेक लोग
आने लगे और
(आने वालों में मेरी पड़ॊसन भी थी)
लोग दुनिया का
ऊँच-नीच समझाने लगे
.
एक दिन मेरे एक
अध्यापक मित्र आये
आते ही मुझे आँखे दिखाये
बोले -
स्टाफ मे तेरे कारनामों की
बहुत चर्चा है.
तुम्हें भला खुद को
उम्र से कम आँकने की
क्या जरूरत थी
टेबुल पर चढ़कर
पड़ोसी के घर में झांकने की
क्या जरूरत थी
मैंने उन्हें कहने दिया
सुखद भ्रम को बने रहने दिया
.
आप सब हंस रहे हैं
अब सताऊँगा
टांग टूटने का असली फायदा तो
अब बताऊँगा
इस देश में जहाँ
आदमी से बड़ा कुर्सी है
इसी का सुख-चैन
इसी की मातमपुर्सी है
मेरी टूटी टांग देखकर
बेमन से ही सही
अपनी कुर्सी से उठ जाते थे
और सहारा देते थे
अपनी कुर्सी पर बिठाते थे
.
तभी से टांग टूटने के सुख का
एहसास हो गया
जब से प्लास्टर कटा है
मुझे लगा
कुछ कीमती खो गया
कुछ खो गया ---
कुछ दिनों पहले
मेरी एक टांग टूट गई थी
हुआ यह कि
श्रीमती जी के आदेश के अनुपालना में
टेबुल पर चढ़कर
सजा रहा था अपना घर
गिरने से टांग टूट गयी
और चढ़ गया प्लास्टर
.
दुनिया के अजीब कायदे हैं
टांग टूटने के भी अनेक फायदे हैं
प्लास्टर चढ़ने से मेरी बांछे खिल गई
क्योंकि पहली बार मुझे
किचन से छुट्टी मिल गयी
.
टांग टूटने के बाद
पहली बार क्या-क्या हुआ
सुनेंगे आप तो
आप भी हाथ मलेंगे
यकीनन मेरी किस्मत से
आप भी जलेंगे
पहली बार मैनें --
सिर दबाने के बजाय
सिर दबवाने का सुख पाया
पहली बार मैनें --
पत्नी के हाथों नहलाये जाने का सुख पाया
पहली बार मैनें --
जानू, प्रियतम, प्राणप्यारे शब्द सुना
पहली बार --
मुझसे मिलने अनेक लोग
आने लगे और
(आने वालों में मेरी पड़ॊसन भी थी)
लोग दुनिया का
ऊँच-नीच समझाने लगे
.
एक दिन मेरे एक
अध्यापक मित्र आये
आते ही मुझे आँखे दिखाये
बोले -
स्टाफ मे तेरे कारनामों की
बहुत चर्चा है.
तुम्हें भला खुद को
उम्र से कम आँकने की
क्या जरूरत थी
टेबुल पर चढ़कर
पड़ोसी के घर में झांकने की
क्या जरूरत थी
मैंने उन्हें कहने दिया
सुखद भ्रम को बने रहने दिया
.
आप सब हंस रहे हैं
अब सताऊँगा
टांग टूटने का असली फायदा तो
अब बताऊँगा
इस देश में जहाँ
आदमी से बड़ा कुर्सी है
इसी का सुख-चैन
इसी की मातमपुर्सी है
मेरी टूटी टांग देखकर
बेमन से ही सही
अपनी कुर्सी से उठ जाते थे
और सहारा देते थे
अपनी कुर्सी पर बिठाते थे
.
तभी से टांग टूटने के सुख का
एहसास हो गया
जब से प्लास्टर कटा है
मुझे लगा
कुछ कीमती खो गया
कुछ खो गया ---
.
15 comments:
बहुत बढ़िया है भाई !! वैसे इस सुख से मजबूरी में ही मुलाक़ात हो तो बेहतर. बहरहाल, शीघ्र पूर्णतः स्वस्थ हो एक और रचना प्रेषित करें ....
अब तो रास्ता मालूम चल गया. फिर कभी लक्जई उठाने का मन करे तो स्टूल तो है ही
वाकई !
चलो अच्छा है आपने पत्नी के आदेश का पालन तो किया.
बहुत खूब हा हा
मुझसे मिलने अनेक लोग
आने लगे और
(आने वालों में मेरी पड़ॊसन भी थी)
YE SHABD TO WAKAI GHAYAL KAR DENE WALEN HAI ... HA HA HA SHIGHRA HI SWASTHYA LAABH KE BAAD LAUT AAYEN.. BADHAAYEE
ARSH
वर्मा जी ने टांग टूटने के इतने फायदे बताये हैं
कि रह-रह कर टांग तुड़वाने का मेरा मन ललचाये है
क्या करूँ मेरे पड़ोस में जो बुड्ढा रहता है
खुद ही अपनी टांग तोड़ कर अपने घर में बैठा है
उसको भी किसी पड़ोसन के आने का इंतज़ार है
मैं तो जा नहीं पाऊँगी बर्माइन पर अब दारोमदार है
सूपट .. हास्य...
बहुत खूब...
हा हा हा हा हा
मज़ेदार
चलो काम पर जिंदगी का बहुत लक्झरीपना देख लिया।
बिना टाँग टूटे ही प्लास्टर लगवा लें तो ज्यादा अच्छा होगा,
फ़ायदे वही मिलेंगे :)
विवॆक़ जी
आपका यह आईडिया अच्छा लगा. आजमाउंगा
मजेदार...बहुत मजेदार
बहुत खूब लिखा आपने ।
पडोसन अब आती है या नही?
बहुत सुन्दर रचना
वर्मा जी
बहुत सुन्दर मनचले मनभावन भावपूर्ण रचना लाये दिल खुश हो गया.फिर भी अपना ख्याल रखिये .बधाई !!
हाहा .. आपके भाव तो हर व्यक्ति में मोजूद हैं ..जो पडोसन को तिर्चि निगाह से पसंद करते हैं . लगे रहिये. हैप्पी रेटिंग
Verma ji,
lagta hai aap Vivek ji ka idea aajma rahe hain
isliye aaj kal kam nazar aa rahe hain
ha ha ha ha ha
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